गंगा नदी को भारत की सबसे पवित्र नदी माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि काशी (वाराणसी) की गंगा और हरिद्वार की गंगा में बड़ा अंतर है? शास्त्रों और पुराणों के अनुसार, दोनों स्थानों के गंगाजल का महत्व और प्रभाव अलग-अलग है। आइए, जानते हैं कि क्यों काशी का गंगाजल हरिद्वार से भिन्न माना जाता है और किसे किस काम के लिए उपयोग करना चाहिए।
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1. पौराणिक मान्यता: काशी की गंगा का विशेष महत्व
काशी की गंगा – शिव के जटाजूट से निकली
- स्कंद पुराण के अनुसार, काशी में गंगा भगवान शिव की जटाओं से निकलती है, इसलिए इसका जल अत्यंत पवित्र माना जाता है।
- जनश्रुति है कि काशी की गंगा मोक्ष देने वाली है, जबकि हरिद्वार की गंगा पापों को दूर करने वाली मानी जाती है।
- काशी में गंगा को “महाश्मशान नदी” भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ मृत्यु के पश्चात आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
हरिद्वार की गंगा – पापों का नाश करने वाली
हरिद्वार में गंगा पर्वतीय क्षेत्र से निकलकर मैदानी भाग में प्रवेश करती है, इसलिए इसे “पापनाशिनी” माना जाता है।
मूलार्थ: परवर्ती से मैदान में आने वाली → पर्वतीय स्रोत से समभूतराशि में आती है
‘पापनाशिनी’ का स्थान वही रखते हुए शब्दावली में नयापन दिया गया है।
यहाँ स्नान करने से सभी पाप दूर हो जाते हैं, लेकिन मोक्ष की प्राप्ति के लिए काशी की गंगा को श्रेष्ठ माना गया है।
“पाप धुल जाते हैं” → “सभी पाप दूर हो जाते हैं”
“मोक्ष के लिए” → “मोक्ष की प्राप्ति के लिए”
श्रेणी और प्रवाह दोनों में वही अर्थ बरकरार है।
2. वैज्ञानिक दृष्टिकोण: क्यों अलग है दोनों का जल?
- काशी का गंगाजल हिमालय के गोमुख ग्लेशियर से आरंभ होकर लंबी यात्रा तय करता है, जिसमें खनिजों की मात्रा अधिक होती है।
- हरिद्वार का जल अपने उत्सर्जन स्थल के आस-पास होने के कारण निर्मल और ताज़ा माना जाता है, लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि से काशी का जल अधिक ऊर्जा पूर्ण होता है।
- वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, काशी के गंगाजल में जीवाणुनाशक गुण प्रबल पाए गए हैं, जो इसे दीर्घकाल तक स्वच्छ बनाए रखते हैं।
3. किस काम के लिए कौन-सा गंगाजल उपयोगी?

4. क्या हरिद्वार का गंगाजल काशी में इस्तेमाल कर सकते हैं?
शास्त्रों के अनुसार, काशी में हरिद्वार के गंगाजल का उपयोग नहीं करना चाहिए, खासकर:
श्राद्ध कर्म में
शिव अभिषेक में
मृतक संस्कार के समय
ऐसा माना जाता है कि काशी की गंगा मोक्ष देती है, जबकि हरिद्वार की गंगा सामान्य पवित्रता प्रदान करती है।
हाँ, लेकिन श्राद्ध या शिव पूजा में इसका उपयोग न करें।
दशाश्वमेध घाट या मणिकर्णिका घाट से शुद्ध जल लें।
नहीं, शास्त्रों में इसे उचित नहीं माना गया है।